Apr 01, 2024

इतने एकड़ में फैला है कच्चाथीवू द्वीप, ऐसे हुआ था निर्माण

Vivek Yadav

कच्चाथीवू द्वीप इस वक्त चर्चा में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस ने भारत के रामेश्वरम के पास मौजूद इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। आइए जानते हैं इस द्वीप के बारे में:

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1974 से पहले भारत का था हिस्सा

ये द्वीप 1974 से पहले भारत का हिस्सा हुआ करता था लेकिन 1974-77 के बीच भारत-श्रीलंका समुद्री सीमा समझौते के तहत ये श्रीलंका के हिस्से में आ गया।

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किसने श्रीलंका को सौंपा

भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में अपने समकक्ष श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ दोनों देशों को लेकर हुए चार समुद्री सीमा समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिसमें कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया।

खूब हुआ था विरोध

तमिलनाडु ने इंदिरा गांधी के इस फैसले का खूब विरोध किया था। यहां तक 1991 में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव अपनाया गया जिसमें इस द्वीप को फिर से प्राप्त करने की मांग की गई थी।

भारत के इस राजा का था शासन

कच्चाथीवू द्वीप हमेशा से भारत और श्रीलंका के बीच विवाद का कारण रहा है। ये द्वीप 285 एकड़ में फैला है और 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामनद के जमींदारी के अधीन था। ब्रिटिश हुकूमत के बाद ये द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया।

ऐसे हुआ था निर्माण

एक रिपोर्ट की मानें तो, कच्चाथूवी द्वीप का निर्माण 14वीं शताब्दी में ज्वालामुखी विस्फोट के कारण हुआ था। इस द्वीप पर आज भी कोई नहीं रहता है।

सुप्रीम कोर्ट से गुहार

साल 2008 में तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने भी सुप्रीम कोर्ट से कच्चाथीवू समझौतों को रद्द करने की अपील की थी। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया था।

एमके स्टालिन भी कर चुके हैं वापसी की मांग

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी साल 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब चेन्नई दौरे पर गए थे तब कच्चाथीवू द्वीप को श्रीलंका से वापस लिए जाने की मांग की थी।

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