आपने अक्सर लोगों को किसी की वफादारी और व्यवहार पर सवाल उठाते हुए उसे गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला इंसान कहते हुए सुना होगा।
वैसे तो यह एक मुहावरा है लेकिन गिरगिट वास्तव में पर्यावरण के अनुसार अपनी त्वचा का रंग बदलता है।
गिरगिट का रंग बदलने की क्षमता उसे उसके आसपास के वातावरण में छिपने और शिकारियों से बचने में मदद करती है।
इसके साथ ही गिरगिट अपना पेट भरने के लिए अपनी रंग बदलने की क्षमता का इस्तेमाल करके शिकार भी करता है।
लेकिन कभी आपने इस बात को सोचा है कि आखिर गिरगिट अपना रंग कैसे बदलता है?
गिरगिट की रंग बदलने की क्षमता के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। इसकी त्वचा में विशेष प्रकार की क्रोमैटोफोर कोशिकाएं होती हैं।
इन कोशिकाओं में कई नौनौक्रिस्टल होते हैं, जो अलग-अलग रंगों के वेवलेंथ छोड़ते हैं। इसी दौरान हमें गिरगिट के शरीर पर अलग-अलग रंग नजर आते हैं।
गिरगिट के शरीर में फोटोनिक क्रिस्टल नामक एक परत होती है, जो माहौल के हिसाब से रंग बदलने में मदद करती है। इस क्रिया को इरिडोफोरस कहा जाता है।