Feb 23, 2024
आज के समय में अगर आप किसी को मैसेज भेजना चाहते हैं तो फोन और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करके बहुत आसानी से भेज सकते हैं।
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लेकिन जब मोबाइल फोन और कम्युनिकेशन नेटवर्क नहीं थे तो लोगों को अपनी बात किसी और तक पहुंचाने में कई दिन लग जाते थे।
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पहले राजा महाराजा अपना संदेश लिखकर सैनिक को देते थे और वो पैदल जाकर दूसरे राजा या व्यक्ति तक पहुंचाते थे। कुछ समय बाद एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया जाने लगा।
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वहीं, आपने कई फिल्मों में लोगों को कबूतर के जरिए चिट्ठी भेजते देखा होगा। बताया जाता है कि पुराने जमाने में चिट्ठी या संदेश भेजने के लिए कबूतरों का इस्तेमाल किया जाता था।
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ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठते है कि आखिर चिट्ठियां पहुंचाने के लिए सिर्फ कबूतरों का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता था, किसी अन्य पक्षी या जानवर का क्यों नहीं?
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दरअसल, इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है। कबूतर उन पक्षियों में से आते हैं जिनमें रास्तों को याद रखने की खूबी होती है।
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उनकी बॉडी में एक खास प्रकार का सिस्टम होता है जो GPS की तरह काम करता है। इस सिस्टम की वजह से वो रास्ता नहीं भूलता और अपना रास्ता ढूंढ भी लेता है।
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कबूतरों में रास्ता खोजने के लिए मैग्नेटोरिसेप्शन स्किल पाई जाती है। उनके दिमाग में लगभग 53 ऐसे सेल्स पाए जाते हैं जो दिशा पहचानने में मदद करते हैं और धरती के मैग्नेटिक फील्ड का निर्धारण करने में सक्षम होते हैं।
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इसके अलावा कबतरों की आंखों के रेटिना में क्रिप्टोक्रोम नाम का प्रोटीन भी पाया जाता है जिनकी वजह से वो रास्ता ढूंढ लेते हैं।
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