भारत में नदियों का बहुत महत्व है। कई नदियों के साथ धार्मिक मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं।
कई नदियां तो ऐसी हैं जो अपने अंदर न जाने कितने रहस्य समाई हुई हैं। लेकिन, भारत में एक ऐसी भी नदी है जो सोना उगलती है।
कहा जाता है कि इस नदी के आसपास रहने वाले लोगों का गुजारा इन्ही स्वर्ण के सहारे चलता है।
ये नदी है स्वर्णरेखा जिसमें से चावल के दाने के बराबर सोने के कण निकलते हैं। मान्यताओं के अनुसार इसका संबंध महाभारत युग से भी जुड़ा हुआ है।
मान्यताओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडवों की माता को जब प्यास लगी तो अर्जुन ने तीर मारकर भूमि से पवित्र जल निकाला।
उनके तीर का वेग इतना था कि जल के साथ सोने के कण भी निकलने लगे और फिर नदी बनकर बहने लगे।
स्वर्णरेखा नदी झारखंड के रत्नगर्भा में बहती है जो रांची से करीब 16 किलोमीटर दूर है। ये झारखंड की सबसे लंबी नदी है।
इस नदी की लंबाई 474 किलोमीटर है। वहीं वैज्ञानिक भी हैरान हैं कि इस नदी में सोना कहां से आता है। कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ये नदी कई चट्टानों से होकर गुजरती और इसी घर्षण के चलते सोने के कण इसके पानी में मिल जाते हैं।