आज की तारीख बेहद खास है, क्योंकि आज 2 जून है। बचपन से एक कहावत सुनते और पढ़ते आ रहे हैं, '2 जून की रोटी नसीब वालों को ही मिलती है।'
2 जून तारीख और दो जून की रोटी को लेकर कई लोगों को इस कहावत का मतलब तक मालूम नहीं होगा। तो चलिए हम आपको बताते हैं इसका अर्थ।
दरअसल, यह एक कहावत है जिसका इस्तेमाल गरीबी और अभाव को दर्शाने के लिए किया जाता है। यह मुहावरा भारत में, खासकर ग्रामीण इलाकों में काफी प्रचलित है।
इस कहावत का मतलब 2 वक्त के खाने से होता है। अवधी भाषा में बात करें तो, ‘जून’ का मतलब ‘वक्त’ अर्थात, समय से होता है।
पुराने समय में बड़े-बुजुर्ग इस कहावत का प्रयोग करते थे, जो वे दिन में दो वक्त यानी सुबह और शाम को खाने के बारे में कहा करते थे।
उनके कहने का मतलब होता था कि महंगाई और गरीबी के इस दौर में 2 वक्त का खाना भी किसी को नसीब नहीं है।
2 जून की रोटी को लेकर यह भी कहते है कि, जून का महीना सबसे गर्म होता है। इस महीने में भयंकर गर्मी पड़ने के साथ अक्सर सूखा भी पड़ता है।
हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है, इस समय किसान बारिश का इंतजार करने और नई फसल की तैयारी के लिए तपते खेतों में काम करते हैं। इस चिलचिलाती धूप में उसे खेतों में कड़ी मेहनत करनी पड़ती है और तब जाकर उसे रोटी मिलती है।