क्या है 'बैसी पहाचा', क्यों खास है जगन्नाथ मंदिर की 22 सीढ़ियां

ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर के दर्शन करने देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग खूब आते हैं। यह मंदिर चार धामों में से एक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष स्थान है।

जगन्नाथ धाम को धरती का बैकुंठ कहा जाता है। जगन्नाथ मंदिर में 22 सीढ़ियां हैं जिसे 'बैसी पहाचा' कहते हैं। ये सीढ़ियां बेहद ही रहस्यमयी हैं।

आगे बढ़ने से पहले बता दें कि, मंदिर के चार द्वार हैं लेकिन कोरोना महामारी के बाद से सिर्फ एक ही द्वार खुला था। चुनाव से पहले भाजपा ने वादा किया था कि राज्य में अगर उनकी सरकार बनती है तो वो मंदिर के चारों द्वारों को खोल देगी। अब सरकार ने अपना वादा निभाया और मंदिर के चारों द्वार खोल दिए हैं।

पुरी जगन्नाथ धाम मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं जिसे 'बैसी पहाचा' भी कहते हैं और ये सभी सीढ़ियां मानव जीवन की बाईस कमजोरियों का प्रतीक हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ये 22 सीढ़ियां काफी रहस्यमयी हैं और इन सभी के नाम हैं।

ये भी मान्यता है कि यहां से गुजरते वक्त भक्तों को तीसरी सीढ़ी का खास ध्यान रखना होता है। इसपर पैर नहीं रखना होता है। खासकर दर्शन करके लौटते वक्त पैर नहीं रखना चाहिए।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, तीसरी सीढ़ी 'यम शिला' कही जाती है। यानी अगर किसी ने इसपर पैर रख दिए तो उसके सारे पुण्य खत्म हो जाएंगे और बैकुंठ की जगह उसे यमलोक जाना होगा।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन सीढ़ियों पर कदम रखने मात्र से ही इंसान की सारी बुराइयां खत्म हो जाती हैं। लेकिन तीसरी सीढ़ी पर पैर पड़ते ही पुण्य नष्ट हो जाते हैं।

कहा जाता है कि, भगवान जगन्नाथ ने तीसरी सीढ़ी यमराज को दे दिया था और उन्हें ये कहा था कि जब भी कोई भक्त दर्शन से लौटते वक्त तीसरी सीढ़ी पर पैर रखेगा उसके सारे पुण्य नष्ट हो जाएंगे और वो बैकुंठ की जगह यमलोक जाना होगा।