खुसरो बाग इलाहाबाद के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। खुसरो बाग की संरचना में मुगल वास्तुकला को देखा जा सकता है। खुसरो बाग में तीन शानदार ढंग से डिजाइन किए गए बलुआ पत्थर के मकबरे हैं, जो शाह बेगम, खुसरो मिर्जा और निथार बेगम सहित मुगल राजघरानों को श्रद्धांजलि देते हैं।
1930 के दशक में मूल स्वराज भवन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्यालय में बदल दिया गया था। जिसके बाद मोतीलाल नेहरू को अपने और अपने परिवार के रहने के लिए एक और हवेली खरीदनी पड़ी जिसे आनंद भवन कहा जाता था। आज यह एक संग्रहालय है।
यह स्तंभ मौर्य सम्राट अशोक द्वारा स्थापित कई स्तंभों में से एक है। बलुआ पत्थर से निर्मित इस संरचना मेंचौथी ईसा पूर्व और 17 वीं शताब्दी के समुद्रगुप्त और जहांगीर युग के शिलालेख हैं। यह गुप्त युग का एक महत्वपूर्ण अवशेष है। स्तंभ पर जाने से पहले पर्यटकों को पहले अनुमति लेनी पड़ती है।
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम किनारे मौजूद यह किला वास्तुकला का यह खूबसूरत नमूना है। मुगल सम्राट अकबर ने इस किले का निर्माण कराया था। 1583 में निर्मित यह किला क्षेत्र के हिंदुओं के लिए एक पवित्र वृक्ष अक्षयवट को कवर करने के लिए बनाया गया था।
स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद की याद में इस पार्क का निर्माण किया गया था। चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों द्वारा गोलीबारी में यहीं वीरगति प्राप्त हुई। ये पार्क 133 एकड़ में फैला हुआ है और यहां उनकी प्रतिमा स्थित है।
संगम किनारे स्थित भगवान हनुमान के मंदिर की काफी मान्यताएं हैं। भक्तों का कहना है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस मंदिर के दर्शन के बाद ही पूरा होता है। माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 700 साल पुराना है।
त्रिवेणी संगम प्रयागराज का सबसे प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है। यहां स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
19 वीं शताब्दी के अंत में निर्मित ऑल सेंट्स कैथेड्रल इलाहाबाद के एमजी मार्ग पर स्थित एक शानदार चर्च है। चर्च ऑफ स्टोन के नाम से जाना जाने वाले ऑल सेंट्स कैथेड्रल की स्थापना पूर्व में 1871 में लेडी मुइर एलिजाबेथ हंटली वेमिस द्वारा की गई थी।
आनंद भवन के बगल में स्थित जवाहर तारामंडल विज्ञान और इतिहास का संगम है। 1979 में निर्मित यह प्लेनिटोरियम मेहमानों के लिए सौर मंडल और अंतरिक्ष से जुड़े कई शो भी आयोजित करता है।