कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडालों में किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी की झलकियां
Image: Shashi Ghosh
पश्चिम बंगाल का दुर्गा पूजा दुनियाभर में मशहूर है। यहां हर साल थीम के मुताबिक पंडाल तैयार किए जाते हैं। इस बार यहां के कई पंडाल किसान आंदोलन और यूपी के लखीमपुर खीरी जैसे मुद्दों पर तैयार किए गए हैं।
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पंडाल बनाने वाले कलाकार अनिर्बान दास ने "हम किसान हैं, आतंकवादी नहीं", "कोई किसान नहीं, कोई भविष्य नहीं", "जय जवान, जय किसान" जैसे अन्य नारों का भी इस्तेमाल किया है।
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वहीं लखीमपुर खीरी में हुए हादसे को भी पंडाल में दर्शाया गया है। यहां एक पेंटिंग के साथ नारा भी लिखा गया है। इसमें बंगाली में लिखा है, "मोटरगारी ओरे धुलो, आला पोर चाशी गुलो।
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एक पंडाल में एक ट्रैक्टर को दिखाया गया है जिसमें दो पंख लगे हैं। आयोजकों ने कहा कि ये पंख बंधन से मुक्ति और लोगों की इच्छा का प्रतीक हैं।
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हिंदू शास्त्रों के अनुसार यह त्योहार महिषासुर के खिलाफ देवी दुर्गा की जीत का प्रतीक है।
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पूजा समिति के सचिव प्रतीक चौधरी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने सोचा कि किसान विरोध पर पंडाल बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हमने इस थीम को बनाने के लिए 25-26 लाख रुपये खर्च किए हैं।
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इस पंडाल में नजर आ रहा है कि सैकड़ों चप्पलें जमीन पर पड़ी हैं, जो विरोध के दृश्यों का प्रतीक है। ये बताता है कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान कई लोगों के जूते वहीं रह गए।
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इस साल दुर्गा पूजा 15 अक्टूबर 2021 तक मनाया जाएगा।
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