जयपुर की शान ‘हवा महल’ की 10 अनसुनी बातें

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राजस्थान की राजधानी जयपुर में मौजूद हवा महल एक ऐसी ही प्राचीन और ऐतिहासिक इमारत है, जो अपनी अद्भुत खूबसूरती और संरचना के लिए जाना जाता है।

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हवा महल को सर के ताज के आकर में बनाया है, और इसके पीछे एक कहानी है। दरअसल, हवा महल को हमेशा भगवन श्री कृष्णा से जोड़ कर देखा जाता है। कहा जाता है कि इस इमारत को बनवाने वाले राजा सवाई प्रताप सिंह श्री कृष्णा भगवन के प्रति बहुत ही भक्ति और श्रद्धा रखते थे, जिसकी वजह से उन्होंने हवा महल को श्री कृष्णा के ताज के समान बनवाया।

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इस महल में लगभग 953 खिड़कियां हैं। इतने सारे खिड़की को बनाने का अर्थ था कि इस महल में हमेशा साफ हवा आते रहे और कभी गर्मी का अनुभव नहीं हो।

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हवा महल को विशेष रूप से राजपूत परिवार के सदस्यों और खास कर महिलाओं के लिए बनवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि जो 953 खिड़कियों से बिना किसी रोक-टोक के शहर के नजारों को महिलाएं देख सकें इसलिए इतनी सारी खिड़कियों को बनवाया गया है।

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हवा महल का नाम यहां की 5वीं मंजिल के नाम पर रखा है, क्योंकि 5वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता था, इसीलिए इसका नाम हवा महल पड़ा।

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इस इमारत में ऐसी कोई भी सीढ़ी नहीं हैं जिसके सहारे इसकी छत पर जाया जा सके। इस इमारत की सभी मंजिलों पर जाने के लिए ढलान किए हुए रास्ते के सहारे ही जाना होता है।

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हवा महल को कई नामों से जाना जाता है। अधिकतर इसे 'पैलेस ऑफ विंड्स' के नाम से भी जाना जाता है।

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कहा तो ये भी जाता है कि इसे हिंदू राजा ने मुगल और राजपुताना वास्तुकला शैली के इस्तेमाल से बनवाया है। इसलिए ये कला का अनूठा नमूना है।

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