रक्षाबंधन का पर्व हिंदू धर्म में भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाए जाने वाला यह त्योहार इस साल 9 अगस्त, शनिवार को है।
इस दिन बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं। बदले में भाई आजीवन अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है।
हालांकि आजकल बाजार में तरह-तरह की डिजाइनर राखियां उपलब्ध हैं, लेकिन वैदिक परंपरा में बनाई जाने वाली वैदिक राखी का महत्व अलग ही होता है। इसे ढूंढ पाना भले ही मुश्किल हो, लेकिन इसकी धार्मिक और आध्यात्मिक महत्ता बेहद गहरी है।
वैदिक राखी बनाने के लिए विशेष और पवित्र वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। दूर्वा (एक प्रकार की पवित्र घास), अक्षत (चावल के दाने), चंदन, सरसों के दाने और केसर को मिलाकर एक रक्षा सूत्र तैयार किया जाता है।
इन सभी तत्वों का अपना-अपना धार्मिक और ऊर्जात्मक महत्व है, जो इसे और भी खास बनाता है। चलिए जानते हैं वैदिक राखी के धार्मिक महत्व और लाभ
स्थिरता, दीर्घायु और विघ्ननाश का प्रतीक।
अखंडता और समृद्धि का प्रतीक।
अग्नि तत्व माना जाता है, जो ऊर्जा और सकारात्मकता बढ़ाता है।
मन को शांति और ठंडक प्रदान करता है, साथ ही विवेक और शुद्ध बुद्धि का विकास करता है।
शनि दोष से बचाव और दुष्ट दृष्टि से सुरक्षा करते हैं।
वैदिक राखी को केवल एक धागा नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली रक्षा सूत्र माना जाता है। इसे बांधने से भाई की कलाई पर न केवल एक आशीर्वाद बंधता है, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, दीर्घायु, मानसिक शांति और बुरी शक्तियों से सुरक्षा का कवच भी बनता है।