हिंदू धर्म में (ऊं भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्) गायत्री मंत्र का बेहद ही खास ही महत्व है।
लेकिन क्या आपको पता है कि सावन के महीने में इस मंत्र का जाप क्यों करना चाहिए और सही तरीका?
गायत्री मंत्र को सबसे शक्तिशाली और असरदार मंत्रों में से एक माना गया है। गायत्री मंत्र को महामंत्र भी कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र को रोज जपने से जीवन में बहुत से अच्छे बदलाव आते हैं। खासकर सावन के महीने में इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए।
देवी गायत्री को वेदों की माता भी कहा जाता है, जिनमें वर्तमान, बीता हुआ कल और आने वाले कल का समावेश है। देवी को त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का रूप भी माना जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंत्र के जाप से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में खुशियां आती हैं।
वेद पुराणों के अनुसार, इस मंत्र का जाप दिन में तीन बार करना सबसे शुभ माना जाता है। पहला सूर्योदय से पूर्व, दूसरा दोपहर के समय और तीसरा शाम को सूरज ढलने से पहले।
इन समयों में बैठकर तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जप करना चाहिए। जाप करते समय कुश के आसन पर बैठें और अपना मुख पूर्व या पश्चिम की ओर रखें। इस बात का खास ध्यान रखें कि सूर्यास्त के बाद इसका उच्चारण ना करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नियमित रूप से गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत रहता है और गुस्सा कम होता है। साथ ही, चिंता और तनाव से मुक्ति मिलती है।
पढ़ाई करने वाले बच्चों के लिए ये मंत्र बहुत फायदेमंद है क्योंकि इससे ध्यान और एकाग्रता बढ़ती है। इस मंत्र से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और आत्मविश्वास भी बढ़ता है।