महाकुंभ मेले का आयोजन 12 साल में एक बार होता है। कुंभ के दौरान नागा साधु आकर्षण का केंद्र होते हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान बड़ी संख्या में नागा साधु नजर आते हैं। लेकिन महाकुंभ के बाद ये नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं।
कुंभ-महाकुंभ के बाद नागा साधु ठंडे स्थानों पर रहने चले जाते हैं। जहां पर किसी का पहुंचना लगभग नामुमकिन होता है।
नागा साधु के शरीर में ऊर्जा का स्तर काफी ज्यादा होता है जिसके चलते वो गर्मी को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।
यही वजह है कि नागा साधु ठंडे स्थानों पर रहते हैं।
नागा साधु महाकुंभ-कुंभ के बाद हिमालय की ऊंचाई वाली जगह पर चले जाते हैं जहां पर खूब कड़ाके की ठंड पड़ती है।
जब कोई हिंदू धर्म का बड़ा पर्व होता है तभी नागा साधु हिमालय से नीचे आते हैं नहीं तो पहाड़ों पर गुफाओं में रहकर साधना करते हैं।
नागा साधु बिना वस्त्र के होते हैं ऐसे में उन्हें ठंड इसलिए नहीं लगती क्योंकि वो मंत्र से अभिमंत्रित करके भभूति लगाते हैं जो उनके शरीर को गर्म रखने का काम करता है।
इसके साथ ही नागा साधु कई तरह के भोगों से खुद को दूर रखते हैं जिसके चलते उनके शरीर में ऊर्जा और अग्नि लगातार बनी रहती है।