Feb 07, 2025

इस समय पूजा करने से नहीं मिलता फल, जानिए पूजा करने का सही वक्त

Archana Keshri

हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह न केवल ईश्वर की आराधना करने का माध्यम है, बल्कि इससे मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है। शास्त्रों के अनुसार, नियमित पूजा-पाठ से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा करने का समय भी बहुत मायने रखता है?

यदि पूजा सही समय पर और सही विधि से की जाए, तो इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है, लेकिन अगर गलत समय पर पूजा की जाए, तो इसका कोई फल नहीं मिलता। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि पूजा का सही समय क्या है और किस समय पूजा करने से बचना चाहिए।

पूजा करने का शुभ समय

शास्त्रों के अनुसार, प्रातःकाल (सुबह) पूजा के लिए सबसे शुभ समय माना गया है। इस समय की गई पूजा सीधे भगवान तक पहुंचती है और इसका शीघ्र फल मिलता है।

1. ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:30 से 5:00 बजे तक)

यह समय सबसे उत्तम और पवित्र माना जाता है। इस समय पूजा करने से मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। योग, ध्यान और मंत्र जप करने के लिए यह समय सर्वोत्तम होता है।

2. प्रातःकालीन पूजा (सुबह 9:00 बजे तक)

ब्रह्म मुहूर्त के बाद सुबह 6:00 से 9:00 बजे तक पूजा करने का समय भी उत्तम माना जाता है। इस समय की गई पूजा घर में शांति, समृद्धि और सौभाग्य लाती है। यह समय विशेष रूप से सूर्य देवता की उपासना और मंत्र जाप के लिए अनुकूल होता है।

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मध्याह्न पूजा (दोपहर 12:00 बजे तक)

यदि आप सुबह पूजा नहीं कर पाए हैं, तो दोपहर 12:00 बजे तक पूजा कर सकते हैं। इस समय मंत्र जाप और ध्यान करना उत्तम माना जाता है। इसके बाद देवताओं का विश्राम काल शुरू हो जाता है, इसलिए इस समय के बाद पूजा करना उचित नहीं माना जाता।

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संध्या पूजा (शाम 4:30 से 6:00 बजे तक)

यह समय संध्या आरती और देवी-देवताओं की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। इस समय की गई पूजा से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इस समय दीप जलाना और भजन-कीर्तन करना सकारात्मक ऊर्जा लाता है।

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शयन पूजा (रात 9:00 बजे)

सोने से पहले ईश्वर का ध्यान और प्रार्थना करना भी शुभ माना जाता है। इस समय भगवान से दिनभर की गलतियों के लिए क्षमा मांगने और अगले दिन के लिए मार्गदर्शन पाने के लिए प्रार्थना की जाती है। साथ ही यह दिनभर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करता है और शांति प्रदान करता है।

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कब नहीं करनी चाहिए पूजा?

1. दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक: - इस समय पूजा करना वर्जित माना गया है, क्योंकि यह देवताओं के विश्राम का समय होता है। इस समय की गई पूजा ईश्वर द्वारा स्वीकार नहीं की जाती और इसका कोई फल नहीं मिलता।

2. शाम की आरती के बाद: - हिंदू मान्यताओं के अनुसार, शाम की आरती के बाद देवी-देवता सोने के लिए चले जाते हैं। इस समय पूजा करने से किसी भी प्रकार का लाभ प्राप्त नहीं होता।

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