नवग्रह में से शनि को सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है, क्योंकि वह जातकों को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं।
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि एकलौता ऐसा ग्रह है जिसके पास साढ़ेसाती और ढैय्या का हक है। ऐसे में व्यक्ति को जीवन में एक बार इसका प्रकोप झेलना ही पड़ता है।
कुंडली में शनि की साढ़े साती और ढैय्या होने से मानसिक, आर्थिक और परिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
बता दें कि एक राशि में शनि की साढ़े साती करीब साढ़े साती तक चलती है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में साढ़े साती चल रही हैं, तो उन उपायों को अपना सकते हैं।
शनिवार के दिन एक कटोरी में सरसों का तेल में एक सिक्का डाल दें। इसके बाद इसमें आप अपनी शक्ल देखें। इसके बाद इसे दान कर दें।
अगर आपकी कुंडली में शनि की साढ़ेसाती चल रही है, तो शनिवार के दिन शाम को सरसों का तेल शनिदेव को अर्पित करे।
शनिवार के दिन काली गाय के माथे में तिलक लगाने के साथ लड्डू खिलाकर उसकी परिक्रमा करें। ऐसा करने से शनिदेव के दुष्प्रभाव कम हो सकता है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन सुबह पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शाम को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।