वैशाख मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती का पर्व मनाया जाता है।
वैशाख अमावस्या के अलावा ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि के दिन भी शनि जयंती का व्रत रखा जाता है।
शनि जयंती के दिन शनिदेव की विधिवत पूजा करने के साथ इन ज्योतिषीय उपायों को अपनाना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
शनि जयंती के दिन एक छोटे से पात्र में सरसों का तेल भर लें और एक रुपए का सिक्का डाल दें। इसके बाद इसमें अपनी छाया देख लें और फिर किसी को दान दे दें।
शनि जयंती के दिन शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाएं। इससे साढ़े साती का प्रभाव काफी कम होता है।
शनि से संबंधित चीजें जैसे सरसों का तेल, काला सुरमा, काले , उड़द की दाल आदि का दान करें। इससे शनि साढ़े साती का दुष्प्रभाव कम होता है।
शनि जयंती के दिन शनि स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी शनि देव अति प्रसन्न होते हैं।
शनि जयंती के दिन भगवान हनुमान जी की विधिवत करने से भी शनि दोष, साढ़े साती का प्रकोप कम होता है।
शनि को भगवान शिव का भक्त माना जाता है इसलिए भगवान शिव की पूजा करें। इसके साथ ही ॐ नम: शिवाय या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।