जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर होती है, तो उसके मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, स्वास्थ्य आदि चीजों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
ऐसे ही अगर किसी जातक की कुंडली में पितृदोष है, तो उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए जानते हैं पितृदोष से मुक्ति पाने के ज्योतिषीय उपायों के बारे में
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कई बार जातक पूर्वजों के लिए जाने-अनजाने में ऐसे काम कर देते हैं, जिससे पूर्वज नाराज हो जाते हैं। ऐसे में एक दोष उत्पन्न होता है, जिसे पितृ दोष कहा जाता है।
कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत करने के साथ पितृदोष से मुक्ति के लिए लाल चंदन, गुड़, गेहूं, माणिक्य, लाल या फिर पीले के वस्त्र या तांबे के बर्तनों का दान करें।
रोजाना सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्घ्य दें। अर्घ्य के लिए एक तांबे के लोटे में जल, सिंदूर, लाल फूल और थोड़ा सा अक्षत डाल लें।
नियमित रूप से आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी।
एक मुहूर्त पर पितरों का तर्पण करें। इसके साथ ही जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा मांगे और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद लें।
पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों का तर्पण, श्राद्ध करने के साथ-साथ नियमित रूप से उन्हें शुद्ध भोजन अर्पित करें। इसके अलावा आप रोज कौवा, चिड़िया, कुत्ते को रोटी खिला सकते हैं।