नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा को भोग में क्या चढ़ाए? इस मंत्र का जरूर करें जाप

चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। हिंदू धर्म के अनुसार माता का रूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममतामयी है।

इस दिन माता की पूजा करने से आत्मविश्वास में वृद्धि, जवन में खुशहाली आने के साथ ही सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ती है।

कैसे हुआ जन्म धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं के मुख से जो ऊर्जा उत्पन्न हुई, उससे एक देवी का प्रादुर्भाव हुआ। जिनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।

आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा को भोग में क्या चढ़ाएं और उन्हें कौन सा रंग पसंद है।

फूल

देवी चंद्रघंटा को लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाने का महत्व है। यह फूल ममता और शक्ति का प्रतीक है।

रंग

माता चंद्रघंटा को पीला रंग अति प्रीय है। पूजा में पीले रंग का वस्त्र पहन कर बैठ सकते हैं।

भोग

माता चंद्रघंटा को पीले रंग की मिठाई और दूध से बनी खीर का भोग लगाना चाहिए। केसर की खीर चढ़ा सकते हैं।

मंत्र

पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥