हिंदू धर्म में किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शव को जलाने की परंपरा है। जिसे दाह संस्कार कहते हैं।
दाह संस्कार के बाद शव की राख को पवित्र नदी में बहाया जाता है।
लेकिन जब किसी नागा साधु की मृत्यु होती है तो उसकी लाश को जलाया नहीं जाता है।
ऐसे में आइए जानते हैं नागा साधु की मृत्यु के बाद उनके शरीर का क्या किया जाता है।
नागा साधु जीवित रहते ही खुद अपना पिंडदान और अंतिम संस्कार कर चुके होते हैं।
मृत्यु के बाद नागा साधु की चिता को आग नहीं दी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से बहुत ही दोष लगता है।
नागा साधु की मृत्यु के बाद जल या फिर भू-समाधि दी जाती है। हालांकि, अब ज्यादातर भू-समाधि दी जाती है।
भू-समाधि से पहले नागा साधु के शव को स्नान कराया जाता है। फिर शव पर भगवा वस्त्र डाला जाता है और भस्म लगाया जाता है।
नागा साधु के मुंह में गंगाजल और तुलसी की पत्तियों को रखा जाता है। इसके बाद मंत्र उच्चारण के साथ भू-समाधि दी जाती है।