महादेव के त्रिशूल की नोक पर टिका है ये शहर, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यहां पर

महाशिवरात्रि की धूम

पूरे देश में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूम-धाम से मनाया जा रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं भगवान शंकर के उस शहर के बारे में जिसे कहा जाता है कि उनकी त्रिशूल की नोक पर टिका हुआ है।

दुनिया के पुराने शहरों में से एक

ये शहर हजारों सालों से हिंदुओं के लिए धार्मिक तीर्थ स्थल रहा है। इसे दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक कहा जाता है।

मिलता है मोक्ष

इस जगह को भगवान शिव और देवी पार्वती का घर भी माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति यहां आखिरी सांस लेता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ये है शहर

दरअसल, हम बात कर रहे हैं काशी यानी वाराणसी या बनारस की जिसे लेकर मान्यताएं हैं कि, ये शहर भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर टिका हुआ है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

पवित्र नदी मां गंगा के किनारे बसा ये शहर अपने खूबसूरत मंदिरों, अध्यात्म, पुरातन संस्कृति के लिए मशहूर है। यहीं पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है।

तीनों लोकों की प्यारी नगरी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काशी को तीनों लोकों में सबसे प्यारी और खूबसूरत नगरी बताया जाता है। ये भी मान्यता है कि जिस स्थान पर ज्योतिर्लिंग स्थित है वो जगह कभी भी लुप्त नहीं होती और सदियों से वैसी की वैसी ही स्थापित है।

महादेव कैसे आए काशी

काशी को लेकर कई कथाएं हैं जिसमें से एक कथा यह है कि, माता पार्वती से विवाह करने के पश्चात भगवान शंकर कैलाश पर्वत पर रहने लगे तो मां गौरा इस बात से नाराज रहने लगीं।

माता गौरा लेकर आईं काशी

उन्होंने अपने मन की इच्छा महादेव के सन्मुख रखी। ये बात सुनते ही भगवान शंकर कैलाश पर्वत छोड़कर माता पार्वती के साथ काशी नगरी में आकर रहने लगे। इस तरह काशी में आने के बाद भगवान शिव यहां ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।