नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विशेष पूजा की जाती है। आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां चंद्रघंटा की विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।
ऐसे में आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की आरती और पूजा में किन मंत्रों का जाप करना चाहिए।
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।।
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥ या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ध्यान वन्दे वाच्छित लाभाय चन्द्रर्घकृत शेखराम। सिंहारूढा दशभुजां चद्रघण्टा यशंस्वनीम्घ। कंचनाभां मणिपुर स्थिथां तृतियां दुर्गा त्रिनेत्राम। खड्ग, गदा, त्रिशूल, चापशंर पद्म कमण्डलु माता वराभीतकराम्घ। पटाम्बर परिधानां मृदुहास्यां नानालंकार भूषिताम। मंजीर हार, केयूर, किंकिणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्घ। प्रफुल्ल वंदना बिबाधारा कांत कपोलां तुग कुचाम। कमनीयां लावाण्यां क्षीणकटिं नितम्बनीम्घ।।
ऐं श्रीं शक्तयै नमः
मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार देवी को केसर की खीर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयों का भी भोग लगा सकते हैं।