महाभारत में कर्तव्य और धर्म केंद्रीय विषय हैं। भगवान कृष्ण परिणामों की आसक्ति के बिना अपना कर्तव्य या धर्म निभाने के महत्व पर जोर देते हैं।
महाभारत में निःस्वार्थता एक महत्वपूर्ण शिक्षा है। भगवान कृष्ण हमें निःस्वार्थ भाव (बिना स्वार्थ के) से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
श्रीकृष्ण परमात्मा में अटूट भक्ति और विश्वास की बात कहते है। उनकी शिक्षाएं स्वयं से भी बड़ी किसी चीज में विश्वास के महत्व पर प्रकाश डालती हैं।
भगवान कृष्ण हमें वैराग्य के साथ काम करने की सलाह देते हैं। इसका अर्थ है कि हमें नतीजों से अत्यधिक जुड़े बिना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए।
महाभारत में भगवान कृष्ण करुणा और क्षमा का प्रदर्शन करते हैं। वह उन लोगों को भी माफ कर देते हैं जिन्होंने उनके साथ अन्याय किया है।
भगवान कृष्ण हमें भी साहसिक फैसले लेने, रणनीतिक सोच और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में संयम बनाए रखने पर जोर देते हैं।
भगवान श्रीकृष्ण हमें लीक से हटकर सोचने, बदलती परिस्थितियों के अनुरूप ढलने और चुनौतियों का नवीन समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
भगवान कृष्ण जरूरत के समय दोस्तों और प्रियजन के साथ खड़े रहने, निष्ठा, विश्वास और अटूट समर्थन प्रदर्शित करने के महत्व को रेखांकित करते हैं।