ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। पंचांग के अनुसार, इस साल मंगलवार 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या है।
इस दिन गंगा स्नान कर देवों के देव महादेव की पूजा की जाएगी। साथ ही पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाएगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष कार्यों को करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं।
ज्येष्ठ अमावस्या पर पूजा-पाठ, तर्पण और दान जैसे कार्यों का विशेष महत्व होता है। इस दिन पवित्र नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है। यदि संभव न हो तो दिन में किसी भी समय स्नान कर सकते हैं।
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करना चाहिए। मान्यता है कि इससे पितृ दोष दूर होता है।
शनि जयंती होने के कारण इस दिन शनि देव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सरसों का तेल, काले तिल, नीले फूल, काले वस्त्र आदि शनि देव को अर्पित करें।
पीपल के पेड़ पर जल, अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। दीपक जलाना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है।
घर के मुख्य द्वार पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और पितरों की तस्वीर के सामने भी दीपक जलाएं। इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इस दिन जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, तेल, काले तिल आदि का दान करें। शनि दोष से मुक्ति के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना गया है।