प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि मनुष्य किन पांच भोगों में फंसा है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया है कि सुख कैसे मिलेगा।
प्रेमानंद महाराज के अनुसार मनुष्य जिन पांच भोगों में फंसा हुआ उसमें पहला 'शब्द' है।
दूसरा उन्होंने भोग 'स्पर्श' को बताया है।
तीसरा भोग 'रूप' है।
चौथा भोग 'रस' है।
पांचवां भोग 'गंध' है। प्रेमानंद महाराज के अनुसार इन्हीं पांच भोगों से मनुष्य की दुर्गति हो जाती है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि इंसान को अपने मन पर काबू करना चाहिए। अगर मन पर काबू कर लिया तो ये भगवान से मिला सकता है और सारा सुख दिला सकता है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि, विरक्त मार्ग अलग होता है लेकिन गृहस्थ में तो धर्म पूर्वक विषय सेवन की मर्यादा है। ऐसे में अगर आप धर्म पूर्वक मार्ग पर चलते हैं तो सुख जरूर मिलेगा।
प्रेमानंद महाराज के कहते हैं कि, जरूरतमंदों की सेवा करके जो सुख मिलेगा वो पूरे जीवन में कहीं नहीं मिलेगा। दूसरे को सुख देने से जो मन में अनूभुती होती है वो और कहीं नहीं मिलती है। इसलिए मनुष्य को दूसरों की सेवा जरूर करनी चाहिए।