प्रयागराज में लगे महाकुंभ मेले में नागा बाबा से लेकर कई साधु संत इस वक्त सुर्खियों में छाए हुए हैं। इसमें एक आईआईटीएन बाबा अभय सिंह भी हैं जिन्होंने अध्यात्म की राह पर चलने के लिए कनाडा में लाखों डॉलर की नौकरी छोड़ दी।
सिर्फ अभय सिंह नहीं बल्कि कई और ऐसे साधु-संत हैं जो आईआईटीएन हैं और अध्यात्म की राह पर चलने के लिए इन्होंने लाखों-करोड़ों की नौकरी छोड़ दी।
आईआईटीएन बाबा के नाम से मशहूर अभय सिंह इस वक्त महाकुंभ मेले में खूब चर्चा में हैं। 30 वर्षीय अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (B.Tech) की पढ़ाई की है। कनाडा में करीब 36 लाख रुपये के पैकेज वाली नौकरी बीच में ही छोड़ वो धर्म और संन्यास की राह पर चल पड़े।
आईआईटी-बॉम्बे से ग्रेजुएट संकेत पारेख अमेरिका में काफी अच्छी नौकरी किया करते थे। जैन मॉन्क बनने के लिए उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने आचार्य युग भूषण सूरी के मार्गदर्शन में दो साल की कठोर साधना की।
आईआईटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने वाले अविरल जैन अमेरिका में वॉलमार्ट में मोटी सैलरी पर काम करते थे। नौकरी छोड़ वो जैन भिक्षु बन गए। अविरल जैन विशुद्ध सागर जी महाराज के शिष्य हैं और अपना सारा समय साधना में लगाते हैं।
आचर्य प्रशांत सोशल मीडिया पर काफी पॉपुलर हैं और इंस्टाग्राम पर करीब 5.4 मिलियन फॉलोवर्स हैं। आचार्य प्रशांत आईआईट दिल्ली के साथ ही आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए कर चुके हैं
स्वामी विद्यानाथ नंदा उर्फ महान एमजे आईआईटी कानपुर से ग्रेजुएशन करने के साथ ही उन्होंने कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (यूसीएलए) से गणित में पीएचडी की है। साल 2008 में उन्होंने सांसारिक जिवन का त्याग कर रामकृष्ण मठ के हिस्सा बन गए। वो टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च मुंबई में गणित के प्रोफेसर भी रह चुके हैं।
आईआईटी बॉम्बे से केमिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने वाले गौरांग दास नौकरी छोड़ इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) में शामिल होकर अध्यात्म की राह पर चल पड़े। गौरांग दास को भारत के सबसे सम्मानित मोटिवेशनल स्पीकर में से एक हैं।
कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ साधु बने स्वामी मुकुंदानंद आईआईटी मद्रास और आईआईएम कोलकाता से पढ़ाई कर चुके हैं। वो जगद्गुरु कृपालु जी योग संस्थान के संस्थापक हैं, जो ध्यान और योग सिखाता
आईआईटी दिल्ली से कंप्यूटर साइंस में स्नातक करने वाले रसनाथ दास ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए भी किया है। कॉर्पोरेट की नौकरी छोड़ अध्यात्म की राह पर चलने वाले रसनाथ दास सबसे पहले इस्कॉन से जुड़े। उन्होंने अपबिल्ड की स्थापना की है
आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट संदीप कुमार भट्ट ने भी संन्यास जीवन अपना लिया। 28 साल की उम्र में सांसारिक मोह माया त्याग कर वो साधु बन गए। अब लोग उन्हें स्वामी सुंदर गोपालदास के नाम से जानते हैं।