हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा अत्यंत पवित्र माना जाता है। इसे देवी लक्ष्मी का स्वरूप और भगवान विष्णु को प्रिय बताया गया है। तुलसी के पौधे के पास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इसका पूजन करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है।
धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, तुलसी की पूजा और उसमें जल अर्पित करने के कुछ विशेष नियम होते हैं। अगर आप प्रतिदिन तुलसी में जल अर्पित करते हैं तो कुछ खास मंत्रों का जाप करने से आपको दोगुना लाभ मिल सकता है।
मान्यता है कि इन मंत्रों के जाप से न केवल सुख-समृद्धि बढ़ती है, बल्कि सभी प्रकार के रोग-दोष भी समाप्त हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि तुलसी को जल चढ़ाने का सही तरीका और इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं क्या हैं।
1. "ॐ सुभद्राय नमः" - इस मंत्र का जाप करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। तुलसी को जल अर्पित करते समय इस मंत्र का 12 या 21 बार जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. "महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।" - इस मंत्र का जाप करने से घर में सुख, शांति और सौभाग्य बना रहता है। साथ ही, सभी प्रकार की मानसिक एवं शारीरिक व्याधियों से भी मुक्ति मिलती है।
स्नान के बाद ही करें जल अर्पण – वास्तु शास्त्र के अनुसार, बिना स्नान किए तुलसी के पौधे को छूना निषेध है। इसलिए सुबह स्नान करके ही तुलसी में जल अर्पित करें।
खाने के बाद जल न चढ़ाएं – तुलसी को जल देने से पहले किसी भी प्रकार का भोजन न करें। खाली पेट जल चढ़ाना शुभ माना जाता है।
रविवार को जल न चढ़ाएं – धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रविवार के दिन मां तुलसी विश्राम करती हैं, इसलिए इस दिन तुलसी में जल अर्पित नहीं करना चाहिए।
एकादशी के दिन जल न अर्पित करें – ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी जल ग्रहण नहीं करती, क्योंकि इस दिन वे भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
शाम के समय जल न दें – तुलसी को जल देने का उचित समय सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले का होता है। शाम के समय तुलसी को जल अर्पित करने से बचें।