Apr 23, 2024
देशभर में आज बड़े ही धूम-धाम के साथ भगवान हनुमान का जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। भगवान श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी को भगवान शिव का अंशावतार माना जाता है।
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त्रेता युग में जब रावण का आतंक बढ़ रहा था तब भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उसी समय सभी देवताओं ने भी श्रीराम की सहायता के लिए अलग-अलग अवतार लिए थे।
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वहीं, शिव जी ने भगवान राम के परम भक्त हनुमान जी के रूप में अवतार लिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामायण सबसे पहले हनुमान जी ने लिखी थी।
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हम सभी जानते हैं कि रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी, लेकिन शायद बहुत कम लोग जानते हैं कि एक रामायण भगवान हनुमान द्वारा भी लिखी गई थी।
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हनुमान जी ने अपने नाखूनों से एक चट्टान पर रामायण लिख दी थी, इसे हनुमद रामायण के नाम से जाता है। हनुमानजी ने इस रामायण की रचना तब की जब रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या पर राज करने लगे थे।
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दरअसल, कुछ दिन अयोध्या में रहने के बाद हनुमान जी हिमालय पर तपस्या करने चले गए थे। इस दौरान वे प्रतिदिन श्रीराम का स्मरण करते थे और उनकी कथा चट्टान पर उकेरते थे। वहीं हनुमान जी की तपस्या के दौरान महर्षि वाल्मीकि भी रामायण लिख रहे थे।
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कथाओं के अनुसार, रामायण पूरी करने के बाद जब महर्षि वाल्मीकि भगवान शिव को अपनी लिखी रामायण दिखाने के लिए कैलाश पर्वत पर गए तो इसी दौरान उन्होंने हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण देखी।
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हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण को पढ़कर वाल्मीकि जी हैरान रह गए और उन्होंने हनुमान जी द्वारा लिखी गई राम कथा को अपने द्वारा लिखी गई रामायण से ज्यादा बेहतर बताया।
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वाल्मीकि जी निराश होकर हनुमान जी को कहा कि आपके द्वारा लिखी गई रामायण के सामने मेरी रामायण कुछ भी नहीं है। इतना कहते ही वाल्मीकि जी के आंखों में आंसू आ गए।
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वाल्मीकि जी की आंखों में आंसू देखकर हनुमान जी बहुत दुखी हुए और उन्हें चिंता न करने के लिए कहा। इतना कहकर हनुमान जी ने हनुमद रामायण को हजारों मील दूर समुद्र में ले जाकर विसर्जित कर दिया।
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