हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है। साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है।
पद्म पुराण के उत्तर खंड में स्वयं महादेव जी ने नारद जी को ऐसी 4 एकादशी के बारे में बताया है।
इन 4 एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के साथ व्रत रखने से हर तरह से पापों से मुक्ति मिल सकती है।
आइए जानते हैं ऐसी 4 एकादशी के बारे में जिन्हें रखने से पापों से मुक्ति के साथ कई गुना अधिक फल की प्राप्ति होती है।
जब किसी माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुनर्वसु नक्षत्र हो, तो जया एकादशी कहते हैं। इस व्रत को करने से निश्चित ही पाप से मुक्ति मिल जाती है।
शुक्ल पक्ष की द्वादशी को श्रवण नक्षत्र हो, तो विजया एकादशी होती है। इस दिन किया गया दान और ब्राह्मण भोजन सहस्त्र गुना फल देता है।
शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को रोहिणी नक्षत्र हो, तो उसे जयंती एकादशी कहते हैं। ये पापों को हर लेते हैं।
शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पुष्य नक्षत्र हो, तो उसे पापमोचनी एकादशी कहते हैं। इस दिन तिल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।