पुराणों में वर्णन किया गया है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी। ऐसे में माना जाता है कि रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति पर भोलेनाथ की कृपा हमेशा बनी रहती है।
हालांकि, इसे धारण करने से पहले रुद्राक्ष के अलग-अलग मुख का महत्व पता होना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको इसी के बारे में बता रहे हैं।
सबसे पहले बात एकमुखी रुद्राक्ष की करें, तो इसे साक्षात शिव का स्वरूप कहा गया है। माना जाता है कि इसे पहनने से आध्यात्मिक ज्ञानल बढ़ता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, आंख से जुड़ी बीमारियां, सिर दर्द, हड्डी और ब्लड प्रेशर संबंधी बीमारियों में लाभ मिलता है। इसके अलावा एकमुखी रुद्राक्ष को छात्र वर्ग के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है।
दोमुखी रूद्राक्ष को शिव-शक्ति का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से मन की शांति प्राप्त होती है, रिश्तों में प्यार बढ़ता है और मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।
तीनमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की त्रिगुणात्मक शक्तियों का प्रतीक माना जाता है। इसे धारण करने से घर में सुख-संपत्ति और मन में शांति बनी रहती है।
चारमुखी रुद्राक्ष को ब्रह्मा का रूप माना जाता है। ये त्वचा के रोगों, ज्ञान, मानसिक क्षमता, एकाग्रता और रचनात्मकता को बढ़ाने में अच्छा माना जाता है।
पंचमुखी रुद्राक्ष को पांच प्राकृतिक तत्वों के अनुरूप माना गया है। ये ध्यान, संतुलन और प्रकृति के साथ संबंध को बढ़ावा देता है।
छः मुखी रुद्राक्ष को ज्ञान और आत्मविश्नास के लिए खास माना जाता है। ये इच्छाशक्ति विकसित करने, आक्रामकता, ईर्ष्या और चिंता को प्रबंधित करने में सहायता करता है।
सात मुखी रुद्राक्ष आध्यात्मिकता और मानसिक शांति के साथ गहरा संबंध दर्शाता है। इसे धारण करने से आर्थिक संपन्नता प्राप्त होती है।
अष्टमुखी रुद्राक्ष को गणेशजी का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से दिव्य ज्ञान और हर काम में सफलता प्राप्त होती है।