May 30, 2024

सारे जतन के बाद भी व्यक्ति नहीं सीख सकता ये 4 आदतें

Shivani Singh

आचार्य चाणक्य को महान ज्ञानी और विद्वान माना जाता है, जिन्होंने चाणक्य नीति की रचना की है।

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आचार्य चाणक्य की इन नीतियों का अनुसरण करके व्यक्ति जीवन में सफलता पाने के साथ जीवन में खुशियां ही खुशियां पा सकता है।

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आचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक में ऐसी चार बातों के बारे में विस्तार से बताया है जिन्हें व्यक्ति सारे जलन लगाने के बाद भी नहीं सीख सकता है।

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आइए जानते हैं वो कौन सी आदतें है जो व्यक्ति किसी भी तरह से सीख नहीं सकता है।

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श्लोक

दातृत्वं प्रियवक्तृत्वं धीरत्वमुचितज्ञता। अभ्यासेन न लभ्यन्ते चत्वारः सहजा गुणाः॥

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भावार्थ

आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति दान देने की आदत, प्रिय बोलना, धीरज और उचित ज्ञान ऐसे चार व्यक्ति के सहज गुण हैं , जो अभ्यास से नहीं आते।

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दान देने की आदत

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के अंदर दान देने का सहज गुण स्वयं उत्पन्न होता है। उसे दवाब के साथ नहीं सीखा सकते हैं।

प्रिय बोलना

व्यक्ति किस तरह बोलता है उसे कोई भी दूसरा व्यक्ति नहीं बोल सकता है। वह व्यक्ति प्रिय नहीं बोल सकता है।

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धीरज

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति धीरज नहीं रख सकता है। धीरज रखना बहुत मुश्किल काम है, जिसे कभी किसी को सिखाया नहीं जा सकता है।

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उचित ज्ञान

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति को जबरदस्ती उचित ज्ञान नहीं दिया जा सकता है। जब तक वह स्वयं सीखने की ललक न रखता हो।

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