May 14, 2024
आचार्य चाणक्य के अनुसार, व्यक्ति ज्ञान को तो खूब अर्जित कर लेते हैं। लेकिन उसका समय-समय पर अभ्यास नहीं करते हैं।
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ऐसे में आप किसी चीज में एक दम परांगत तो है, लेकिन अभ्यास न कर पाने के कारण उसे नहीं कर पाते हैं। कई बार ये आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
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जिसमें जीवन से जुड़ी कई बातों का भलीभांति जिक्र किया है। उसमें लिखी कई बातें आज भी युवाओं का मार्गदर्शित करती है।
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जिस प्रकार बढ़िया-से बढ़िया भोजन बदहजमी में लाभ पहुंचाने के स्थान में हानि पहुंचता है और विष का काम करता है।
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उसी प्रकार निरन्तर अभ्यास न रखने से शास्त्रज्ञान भी मनुष्य के लिए घातक विष के समान हो जाता है।
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आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आप किसी चीज यानी किसी विषय में प्रकाष्ठ बनना चाहते हैं, तो उसे अच्छे से जाने और पढ़ें।
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कई बार थोड़ा बढ़ लेने के बाद हम खुद को ज्ञानी समझने लगते हैं। ऐसे में उसका हम निरंतर अभ्यास भी नहीं करते हैं।
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समय-समय पर किसी चीज का अभ्यास न करने से उसके बारे में हम बिल्कुल भी पुख्ता नहीं हो पाते हैं।
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उदाहरण के लिए आपने मेडिकल की डिग्री तो ले ली। लेकिन अभ्यास न करने के कारण वो आपके लिए वो डिग्री रद्दी के बराबर है।
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