आचार्य चाणक्य एक महान दार्शनिक और राजनीतिज्ञ थे। इसी खूबी के चलते राजा चन्द्रगुप्त ने इनको अपना आर्थिक सलाहकार बनाया था। चाणक्य ने अपनी अर्थनीति के द्वारा चंद्रगुप्त मौर्य की शासन व्यवस्था में योगदान किया था।
साथ ही आचार्य चाणक्य ने एक नीति शास्त्र की रचना की थी। जिसमें व्यक्ति के जीवन को सुखमय एवं सफल बनाने के लिए कई उपयोगी सुझाव दिये गये हैं।
वहीं इस शास्त्र में व्यापार में सफलता पाने के भी सूत्रों का वर्णन किया गया है। जिनका अनुसरण करने से आप कारोबार में अच्छी सफलता पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन सूत्रों के बारे में…
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को व्यापार में रिस्क लेनी चाहिए। क्योंकि यदि कोई व्यापारी रिस्क लेने से डरेगा तो वह व्यापार में आशातीत सफलता नहीं प्राप्त सकता है।
इसलिए व्यापार में कड़े फैसले लेने चाहिए और दूरदर्शी सोच रखनी चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक सफल व्यापारी को मनी का मैनेटमेंट रखना चाहिए। मतलब सफल व्यवसायी बनने के लिए लाभ और हानि का तालमेल बनाकर चलना चाहिए।
मतलब आय से अधिक खर्च करना व्यवसाय में घाटा पहुंचा सकता है। साथ ही कर्जा हो सकता है।
चाणक्य ने अपनी अर्थनीति में बताया है कि एक व्यापारी को अपना व्यवहार कुशल रखना चाहिए। साथ ही उसे क्रोध से भी बचना चाहिए और वाणी पर भी नियंत्रण रखना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जिसकी वाणी में कर्कशता और तीखापन होता है, उसका व्यापार घाटा में जा सकता है। साथ ही कस्टमर भी दोबारा उसके संपर्क में आने से बचेगा।