चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करने की परंपरा है।
इस दिन कन्याओं को ससम्मान घर बुलाकर पूजा करने के साथ भोजन कराया जाता है। इसके बाद ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है।
मां दुर्गा का आशीर्वाद पाने के लिए अधिकतर साधक कन्या पूजन करते हैं। लेकिन इस दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना चाहिए।
आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करते समय किन नियमों का रखें ख्याल।
कन्या पूजन के लिए केवल 2 से 10 वर्ष की आयु की ही कन्याओं को आमंत्रित करना चाहिए।
हिंदू धर्म में 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा , 9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा, 8 वर्ष की कन्या को शांभवी, 7 वर्ष की कन्या को चंडिका, 6 वर्ष की कन्या को कालिका, 5 वर्ष की कन्याओं को रोहिणी, 4 साल की कन्या को कल्याणी, 3 वर्ष की कन्याओं को त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्याओं को कुंवारी माना जाता है।
कन्या पूजन करने के साथ-साथ एक बालक जिसे लंगूर या बटुक को जरूर आमंत्रित करना चाहिए, क्योंकि उन्हें बाबा भैरव माना जाता है।
किसी भी कन्या को घर में बुलाकर अपमान न करें और न ही भोजन करने के लिए जबरदस्ती करें।
कन्या पूजन के एक दिन पहले कन्या के घर जाकर आमंत्रण दें और फिर इसे सत्कार के साथ लेकर आएंगे।
कन्या पूजन के लिए कभी तामसिक यानी लहसुन प्याज आदि का इस्तेमाल न करें। बल्कि खीर पूड़ी, हलवा-चना आदि बना लें।