मंगलवार सुबह तिब्बत में आए भूकंप ने न केवल स्थानीय इलाकों को हिला दिया, बल्कि इसकी दहशत भारत, नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों तक महसूस की गई। भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई, जिसने तिब्बत के शिगाजे शहर को बुरी तरह प्रभावित किया।
इस त्रासदी में 53 लोगों की मौत हो गई, जबकि 62 लोग घायल हैं। भूकंप के झटके इतनी तीव्रता के थे कि लोगों ने अपने घरों से बाहर निकलकर सुरक्षित स्थानों की ओर रुख किया।
भूकंप का केंद्र तिब्बत के शिजांग क्षेत्र में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। शिगाजे शहर के डिंगरी काउंटी में भूकंप का सबसे ज्यादा असर देखा गया। यहां कई इमारतें जमींदोज हो गईं और सड़कों पर मलबा फैला हुआ है।
चीन की सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, ल्हात्से काउंटी और चांग्सुओ टाउनशिप जैसे इलाकों में भारी नुकसान हुआ है।
तस्वीरों में मलबे में दबी हुई गाड़ियां, गिरी हुई इमारतें और बचावकर्मियों को पीड़ितों की खोज करते देखा जा सकता है। चांग्सुओ टाउनशिप के तोंगलाई गांव में भूकंप के बाद के दृश्य रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं।
वहीं, भूकंप के झटके नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी महसूस किए गए। सुबह-सुबह तेज झटकों ने लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया।
काठमांडू में सैकड़ों लोग सड़कों पर खड़े नजर आए। हालांकि, नेपाल में कोई बड़ी जान-माल की हानि की खबर नहीं है, लेकिन दहशत का माहौल साफ देखा जा सकता है।
वहीं, भारत के उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, इन क्षेत्रों में किसी बड़े नुकसान की खबर नहीं है।
तिब्बत में भूकंप के बाद बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। स्थानीय प्रशासन और बचावकर्मी मलबे में दबे लोगों की तलाश कर रहे हैं। चीन के अधिकारियों ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।