कितने पढ़े लिखे हैं चिराग पासवान?

लोकसभी चुनाव के पांच चरण पूरे हो चुके हैं। छठे चरण के लिए 25 मई को वोटिंग होने वाली है। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एक सभा में हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की।

चिराग ने कहा कि मोदी की गारंटी के सामने विरोधी पस्त हो गए हैं। देश उन्हें फिर पीएम देखना चाह रहा है। उनकी ही देन है कि आज विश्व में अर्थव्यवस्था के मामले में भारत विश्व में पांचवें नंबर पर पहुंच गया है।

इससे पहले पीएम मोदी ने हाजीपुर में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए चिराग पासवान की जमकर तारीफ की थी। पीएम ने कहा था कि चिराग में रामविलास के बेटे होने के गुरूर का नामोनिशान नहीं था, यह बहुत बड़ी बात है।

बता दें, चिराग पासवान के पिता राम विलास पासवान केंद्रीय मंत्री थे। चिराग से पहले वह लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष भी थे। पिता की छत्रछाया में ही चिराग ने राजनीति की शुरुआत की थी। वहीं अब बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान चिराग पासवान चर्चाओं में बने हुए हैं।

हाजीपुर सीट हो या चाचा पशुपति पारस से मतभेद, इन दो कारणों से चिराग पासवान मीडिया में सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रहे हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं चिराग पासवान की एजुकेशन क्वालिफिकेशन के बारे में।

31 अक्टूबर 1982 को बिहार के खगड़िया में जन्मे चिराग पासवान वर्तमान में जमुई से सांसद हैं। चिराग पासवान ने दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से 10वीं और 12वीं की शिक्षा हासिल की है।

इसके बाद उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी में बीटेक कंप्यूटर साइंस में एडमिशन लिया था। हालांकि उन्होंने तीसरे सेमेस्टर में ही कॉलेज ड्रॉप कर दिया था।

कॉलेज छोड़ने के बाद और राजनीति में प्रवेश करने से पहले उन्होंने बॉलीवुड में डेब्यू किया था, लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली।  उन्होंने कंगना रनौत के साथ फिल्म 'मिले ना मिले हम' (2011) में काम किया है।

चिराग लगातार दो बार जमुई से सांसद रहे हैं। 2014 में वह पहली बार लोकसभा सदस्य चुने गये। 2019 में वह दूसरी बार जमुई सीट से लोकसभा सांसद चुने गए। चिराग ने अब हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है।

इस सीट से चिराग के चाचा पशुपति पारस भी चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं। आपको बता दें, हाजीपुर वह सीट है जहां से चिराग पासवान के पिता राम विलास पासवान ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की थी।