भागदौड़ भरी जिंदगी और लगातार बढ़ती जिम्मेदारियों के बीच तनाव यानी स्ट्रेस आम हो गया है। लेकिन अच्छी बात ये है कि मेडिटेशन यानी ध्यान की मदद से इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। सिर्फ कुछ मिनट का मेडिटेशन आपके भीतर शांति और संतुलन ला सकता है।
यह आसान है, सस्ता है और इसे कोई भी कर सकता है। आइए जानते हैं, कैसे मेडिटेशन आपकी मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए वरदान बन सकता है।
मेडिटेशन एक प्राचीन अभ्यास है, जो मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता था। आज यह तनाव को कम करने और मानसिक संतुलन बनाए रखने का एक प्रभावी तरीका बन गया है। यह एक प्रकार की माइंड-बॉडी थैरेपी है, जो आपके विचारों को शांत करती है और आपको वर्तमान में जीने में मदद करती है।
तनाव और चिंता में कमी, मनोबल और सेल्फ कंट्रोल में वृद्धि, ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बेहतर होती है, नींद की गुणवत्ता में सुधार, ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को नियंत्रित करता है, नकारात्मक सोच में कमी और सकारात्मकता में बढ़ोतरी, रचनात्मकता और सहनशीलता में इजाफा।
मेडिटेशन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के लक्षणों को कम करने में भी मदद कर सकता है, खासकर जब वे स्ट्रेस से जुड़ी हों। जैसे: डिप्रेशन और एंग्जायटी, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज, सिरदर्द, अस्थमा, नींद की समस्याएं, पाचन संबंधी विकार (IBS), कैंसर के इलाज के दौरान मानसिक शांति।
इसमें आप मानसिक रूप से किसी शांत और सुंदर जगह की कल्पना करते हैं। इसमें आपकी इंद्रियों का उपयोग होता है—जो आप देख, सुन, महसूस और सूंघ सकते हैं।
इसमें एक शब्द या वाक्य को बार-बार दोहराया जाता है, जिससे ध्यान केंद्रित रहता है और अनचाहे विचारों से छुटकारा मिलता है।
इसमें आप अपने श्वास या शरीर की हर गतिविधि पर ध्यान देते हैं और विचारों को बिना कोई मूल्यांकन किए जाने देते हैं।
इसमें शरीर की विभिन्न मुद्राओं और नियंत्रित सांसों की मदद से मानसिक और शारीरिक संतुलन स्थापित किया जाता है।
चलते समय ध्यान केंद्रित कर अपने शरीर की गति और वातावरण पर ध्यान देना।
शांत जगह चुनें, आरामदायक स्थिति में बैठें या लेटें, आंखें बंद करें और धीरे-धीरे सांस लें, अपने ध्यान को सांस पर केंद्रित करें, यदि ध्यान भटके तो खुद को बिना दोष दिए दोबारा फोकस करें, 5-10 मिनट से शुरू करें और समय बढ़ाएं।
सुबह उठते ही या रात को सोने से पहले, वॉक करते समय, ट्रैफिक या मीटिंग के स्ट्रेस में, मोबाइल ऐप्स की मदद लें, कुछ मिनटों के लिए खुद को डिस्कनेक्ट करें।
ध्यान करते समय खुद को जज न करें, निरंतर अभ्यास से ही लाभ मिलेगा, हर किसी के लिए अलग तरीका फायदेमंद हो सकता है, इसलिए खुद के लिए सही तरीका खोजें, जरूरत पड़ने पर किसी विशेषज्ञ की मदद लें।