हार्ट अटैक का नाम सुनते ही अक्सर हमारे दिमाग में सीने में तेज दर्द, पसीना और सांस फूलने जैसे लक्षण आते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर हार्ट अटैक ऐसा नहीं होता?
कुछ हार्ट अटैक इतने 'साइलेंट' होते हैं कि उन्हें मरीज भी नहीं पहचान पाते। ऐसे हार्ट अटैक को "साइलेंट" या "हिडन हार्ट अटैक" कहा जाता है।
हिडन हार्ट अटैक में पारंपरिक लक्षण या तो बहुत हल्के होते हैं, बहुत सामान्य होते हैं या बिल्कुल भी महसूस नहीं होते।
यही वजह है कि ये हार्ट अटैक अधिक खतरनाक साबित हो सकते हैं, क्योंकि व्यक्ति को समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
इन लक्षणों को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है या किसी अन्य बीमारी से जोड़कर देखा जाता है: लगातार थकान महसूस होना, हल्का या असामान्य बेचैनी, जो हाथ, जबड़े, पीठ या छाती में हो सकती है।
घबराहट या एंजायटी जैसा अहसास, पेट खराब होना, अपच या भारीपन लगना, हल्का सीने में दबाव या कसाव, जो कुछ ही समय में चला जाए, ठंडा पसीना या हल्का चक्कर।
हिडन हार्ट अटैक की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह बिना किसी बड़े संकेत के आता है। जब तक व्यक्ति को पता चलता है, तब तक दिल को नुकसान पहुंच चुका होता है। इससे आगे चलकर हार्ट फेलियर, बार-बार हार्ट अटैक या अन्य कार्डियक समस्याएं हो सकती हैं।
डायबिटीज के मरीजों को, क्योंकि उनका नर्व सिस्टम हार्ट अटैक के दर्द को महसूस नहीं कर पाता। महिलाओं को, जिनमें अक्सर हार्ट अटैक के लक्षण सामान्य से अलग होते हैं।
बुजुर्गों को, जिनमें लक्षण हल्के और असामान्य हो सकते हैं। मोटापे, हाई ब्लड प्रेशर, स्मोकिंग, और फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों को भी अधिक जोखिम रहता है।
यदि आप रिस्क फैक्टर वाले ग्रुप में आते हैं, तो किसी भी असामान्य शारीरिक बदलाव को हल्के में न लें। नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, खासकर ईसीजी, ईको और ब्लड प्रेशर की जांच।
सही खानपान, नियमित व्यायाम, स्ट्रेस कम करना, और पर्याप्त नींद लेना बेहद जरूरी है। यदि कभी हल्का भी शक हो कि दिल से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।