दिनभर की थकान के बाद जब हम रात में सोने जाते हैं, तो उम्मीद होती है कि सुबह उठते समय हम पूरी तरह से तरोताजा और ऊर्जा से भरपूर महसूस करेंगे।
लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता। नींद बीच-बीच में टूट जाती है, या फिर सुबह उठने पर थकान बनी रहती है। इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है — सोने की गलत दिशा।
वास्तु शास्त्र और विज्ञान दोनों इस बात को मानते हैं कि सोने की दिशा का हमारे स्वास्थ्य और नींद की क्वालिटी पर गहरा असर पड़ता है।
पृथ्वी का एक इनविजिबल मैग्नेटिक फील्ड है, जिसकी काल्पनिक रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर जाती हैं।
अगर हमारा सिर और पैर इन रेखाओं के अनुरूप होते हैं, तो ब्लड सर्कुलेशन और एनर्जी फ्लो संतुलित रहता है, जिससे नींद गहरी और सुकूनभरी आती है।
उत्तर दिशा: इस दिशा में सिर करके सोने से आप मैग्नेटिक फील्ड के विपरीत लेटते हैं। इससे सिरदर्द, थकान, मानसिक तनाव और नींद न आने की समस्या हो सकती है।
पश्चिम दिशा: इस दिशा में सिर करके सोना भी अशुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार, पश्चिम के स्वामी शनि देव हैं, जो पैरों के कारक हैं। इस दिशा में सोने से चिंता, मानसिक असंतुलन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा के स्वामी यम देव हैं, इसलिए इस दिशा में पैर रखकर सोना अशुभ माना जाता है। हालांकि, विज्ञान के दृष्टिकोण से देखें तो दक्षिण दिशा में सिर रखकर और उत्तर में पैर रखकर सोना सबसे अच्छा है।
इससे शरीर का ऊर्जा प्रवाह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ सामंजस्य में रहता है, जिससे: रक्त संचार बेहतर होता है, तनाव और चिंता में कमी आती है, गहरी और आरामदायक नींद मिलती है।
पूर्व दिशा को ज्ञान और सफलता की दिशा माना जाता है। इस दिशा में सिर करके सोने से मानसिक शक्ति, एकाग्रता और रचनात्मकता बढ़ती है। विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और रचनात्मक कार्य करने वालों के लिए यह दिशा विशेष रूप से लाभकारी है।