आज की तेज रफ्तार और डिजिटल दुनिया में हमारी आंखें सबसे ज्यादा काम करती हैं और सबसे पहले थक भी जाती हैं। मोबाइल, लैपटॉप और टीवी स्क्रीन के लंबे समय तक इस्तेमाल, नींद की कमी, प्रदूषण और तनाव का सीधा असर हमारी आंखों पर पड़ता है।
आंखों में जलन, थकान, धुंधलापन, खुजली और कभी-कभी सूजन भी। लेकिन आयुर्वेद में इस समस्या का एक बेहद सरल, प्रभावशाली और बिना साइड इफेक्ट वाला समाधान मौजूद है— त्रिफला जल से नेत्रधौवन।
त्रिफला, आयुर्वेद की एक शक्तिशाली औषधीय कॉम्बिनेशन है, जिसमें हरड़, बहेड़ा और आंवला तीनों का समावेश होता है
त्रिफला जल से नेत्रधौवन यानी आंखों को धोना एक प्राचीन आयुर्वेदिक प्रक्रिया है, जिसे सदियों से अपनाया जा रहा है। इसका नियमित उपयोग आंखों को शुद्ध, शीतल और ऊर्जावान बनाता है।
आंखों में जलन या चुभन, धुंधला दिखना, पलकों में भारीपन, खुजली या सूजन, और तेज रोशनी में आंखों का असहज हो जाना।
एक चम्मच त्रिफला चूर्ण लें (किसी आयुर्वेदिक स्टोर से आसानी से मिल जाएगा)। इसे रात में एक गिलास साफ पानी में भिगो दें।
सुबह उठकर इसे बारीक मलमल के कपड़े या छलनी से छान लें। अब यह तैयार है आपके आंखों के लिए शीतल त्रिफला जल।
सुबह उठने के बाद चेहरा धोने के तुरंत बाद आंखों को त्रिफला जल से धोएं।
आप चाहें तो इसे किसी नेत्र धोवन पात्र (eye wash cup) में भरकर उसमें आंख डुबोकर पलकें झपका सकते हैं।
अगर पात्र उपलब्ध नहीं है, तो आप इस जल को हथेली में लेकर भी आंखों को धो सकते हैं।
आंखों की थकान में राहत, दृष्टि शक्ति में सुधार, आंखों की जलन और खुजली में आराम, धूल और प्रदूषण से आंखों को शुद्ध करने में सहायक, और मोतियाबिंद जैसे नेत्र रोगों की प्रारंभिक अवस्था में लाभकारी।
आयुर्वेद मानता है कि नेत्र हमारे शरीर की अग्नि का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्रिफला जल आंखों को ठंडक पहुंचाकर इस अग्नि को संतुलित करता है।
नियमित रूप से त्रिफला जल से आंखों को धोना न केवल दृष्टि को तेज करता है, बल्कि यह एक मेडिटेटिव अनुभव भी देता है— शीतलता, स्पष्टता और राहत का।