मानसून का मौसम जहां एक ओर सुकून और ताजगी लेकर आता है, वहीं दूसरी ओर इससे जुड़ी कुछ समस्याएं भी होती हैं, खासकर जब बात गीले जूतों की हो। बारिश में जूते गीले होना आम बात है, लेकिन यह सिर्फ असुविधा का कारण नहीं, बल्कि आपके पैरों की सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
गीले जूते कई प्रकार की संक्रमण, दुर्गंध और यहां तक कि चोट का कारण भी बन सकते हैं। आइए जानते हैं गीले जूतों से होने वाली परेशानियों और उनके समाधान के बारे में विस्तार से—
1. फंगल संक्रमण का खतरा - नमी से भरे जूते फंगस के पनपने का माहौल बनाते हैं। इससे एथलीट फुट, नाखूनों का फंगल इंफेक्शन और स्किन की खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
गीले और बंद जूतों में बैक्टीरिया तेजी से फैलते हैं, जिससे पैरों में बदबू, जलन और संक्रमण जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
नम जूतों में चलने से त्वचा और जूते के बीच ज्यादा रगड़ होती है, जिससे फफोले और घाव हो सकते हैं। ये घाव अगर समय पर ठीक न हों, तो इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं।
बारिश के पानी से भीगे जूते शरीर की गर्मी छीन लेते हैं, जिससे पैरों में ठंडक और अकड़न आ सकती है। लगातार ऐसा रहने पर इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।
नमी जूतों की बनावट को नुकसान पहुंचाती है, जिससे वे जल्दी घिसने लगते हैं। उनका शेप और सपोर्ट कम हो जाता है, जो आपके पैरों के लिए हानिकारक हो सकता है।
गीले जूते अक्सर ग्रिप नहीं दे पाते, जिससे फिसलने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सपोर्ट कम होने के कारण मोच और चोट की संभावना भी रहती है।
गीले जूतों से होने वाले नुकसान से बचने के लिए उन्हें अच्छे से सुखाना बेहद जरूरी है। यह न सिर्फ संक्रमण को रोकता है बल्कि जूतों की क्वालिटी और आपकी सेहत दोनों को सुरक्षित रखता है।
सूखे जूते फंगस और बैक्टीरिया को पनपने से रोकते हैं।
सूखे जूते पहनने से पैरों में घर्षण नहीं होता, जिससे चलना ज्यादा आरामदायक होता है।
नमी से मुक्त जूते अपनी संरचना बनाए रखते हैं, जिससे वे जल्दी खराब नहीं होते।
खासकर स्पोर्ट्स या वॉकिंग में सूखे जूते बेहतर ग्रिप और सपोर्ट प्रदान करते हैं।
सूखे जूतों में बैक्टीरिया की ग्रोथ कम होती है, जिससे बदबू नहीं आती।