मुंबई, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, का नाम एक प्राचीन देवी के नाम पर पड़ा है। इस शहर का इतिहास और संस्कृति बहुत ही समृद्ध है और इसके नामकरण की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है।
क्या आप जानते हैं कि मुंबई का नाम देवी मुंबा देवी के नाम पर रखा गया है? आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक और धार्मिक जुड़ाव की पूरी कहानी।
मुंबई का नामकरण हिंदू देवी मुंबा देवी के नाम पर किया गया है, जो देवी दुर्गा का एक रूप मानी जाती हैं। इस नाम में दो प्रमुख शब्द हैं - 'मुंबा', जो देवी का नाम है, और 'आई', जिसका अर्थ मराठी में 'मां' होता है।
पहले मुंबई को बंबई (Bombay) कहा जाता था, लेकिन 1995 में तत्कालीन शिवसेना सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से मुंबई नाम दिया। इसके पीछे यह उद्देश्य था कि शहर का नाम उसकी ऐतिहासिक और स्थानीय पहचान से मेल खाए।
मुंबा देवी को मुंबई की ग्रामदेवी माना जाता है और यहां के लोग किसी भी शुभ कार्य से पहले उनकी पूजा करते हैं। विशेष रूप से कोली समुदाय, जो मूल रूप से मछुआरों का समाज है, उन्हें अपनी रक्षक देवी मानता है। ऐसा माना जाता है कि देवी समुद्र में आने वाली हर विपदा से अपने भक्तों की रक्षा करती हैं।
मुंबा देवी का मूल मंदिर पहले विक्टोरिया टर्मिनस (अब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस) के स्थान पर स्थित था। इसे 1737 में बनाया गया था। बाद में ब्रिटिश शासनकाल में इसे मैरीन लाइन्स के पास बाजार क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया।
यहां की मुख्य प्रतिमा नारंगी रंग के चेहरे वाली देवी मुंबा की है, जो रजत मुकुट से सुशोभित है। मंदिर में अन्नपूर्णा देवी और माता जगदंबा की मूर्तियां भी स्थापित हैं।
मंदिर में प्रतिदिन छह बार आरती होती है, लेकिन मंगलवार को यहां विशेष भीड़ रहती है क्योंकि यह दिन देवी के पूजन के लिए खास माना जाता है।
मुंबा देवी का वाहन हर दिन बदलता है। सोमवार को मां नंदी पर सवार होती हैं तो मंगलवार को हाथी की सवारी करती हैं। बुधवार को मुर्गा तो गुरुवार को गरुड़ पर मां सवार होती हैं।
शुक्रवार को सफेद हंस पर तो शनिवार को फिर से हाथी की सवारी करती हैं। वहीं रविवार को देवी मां का वाहन सिंह होता है।