ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे के बीच होता है। आमतौर पर यह समय सूर्योदय से लगभग डेढ़ घंटे पहले का होता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इंसान को हर हाल में ब्रह्म मुहूर्त के वक्त बिस्तर त्याग देना चाहिए। जितने भी साधु-संत है वो इसी समय उठते हैं।
हिंदू धर्म में इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का समय बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार, ब्रह्म मुहूर्त में वातावरण शुद्ध, शांत और सात्विक होता है। यह समय ब्रह्म यानी भगवान की ऊर्जा से भरा होता है, जो ध्यान, जप और साधना के लिए आदर्श है।
हिंदू धर्म में ब्रह्म मुहूर्त का समय आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का सबसे शक्तिशाली समय माना जाता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठने से मन शांत और तनावमुक्त होता है। संत-महात्मा इस समय ध्यान और आत्मचिंतन करते हैं, जिससे एकाग्रता बढ़ती है।
ब्रह्म मुहूर्त में प्रकृति में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। हवा शुद्ध होती है साथ ही पक्षियों की चहचहाहट वातावरण को और सात्विक बनाती है। इसके साथ ही यह समय योग और प्राणायाम के लिए भी उपयुक्त माना गया है।
ब्रह्म मुहूर्त को आयुर्वेद और योग शास्त्रों में दिन का सबसे शुभ समय माना गया है। इसे अमृत बेला भी कहते हैं जो आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम है।
आयुर्वेद की मानें तो ब्रह्म मुहूर्त में उठने से शरीर का तंत्रिका तंत्र संतुलित रहता है। साथ ही तनाव कम होता है और मानसिक स्वास्थ्य सही ढंग से काम करता है।
संत-महात्मा ब्रह्म मुहूर्त में इसके लिए उठते हैं क्यों रात के बाद और दिन शुरू होने से पहले का समय नकारात्मक ऊर्जा से मुक्त होता है जिससे साधना का प्रभाव बढ़ता है।
इसके साथ ही शास्त्र अध्ययन, प्रार्थना और मंत्रों का जाप करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय शास्त्रों में सबसे प्रभावी माना गया है।
इस समय उठना इंद्रियों पर नियंत्रण और अनुशासन का प्रतीक है, जो साधु-संतों के जीवन का मूल आधार है। इसके साथ ही भगवद गीता और वेदों में इस समय की महत्ता बताई गई है।