Apr 14, 2025
भारतीय संस्कृति में मंत्रों के जाप का विशेष महत्व है। इन्हीं मंत्रों में एक सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली मंत्र है गायत्री मंत्र। इसे वैदिक काल से ही अद्भुत ऊर्जा का स्रोत माना गया है।
कहा जाता है कि 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से मन, मस्तिष्क और आत्मा को दिव्य शांति मिलती है। यह न केवल मानसिक स्तर को ऊंचा उठाता है, बल्कि जीवन में सकारात्मकता का संचार भी करता है।
गायत्री मंत्र की रचना ऋषि विश्वामित्र ने की थी और इसका उल्लेख सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है। यह मंत्र लगभग 2500 से 3500 वर्ष पुराना है और इसे सभी वेदों का सार कहा जाता है। गायत्री मंत्र को मां गायत्री का स्वरूप माना जाता है, जो त्रिविध चेतना—जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति—में सहजता से प्रवाहित होती हैं।
ॐ भूर्भुव: स्व:। तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्।
"हे परमात्मा, आप जो सृजनकर्ता हैं, जो समस्त ब्रह्मांड के पालनकर्ता हैं, कृपया हमारे बुद्धि को सत्य के मार्ग पर प्रेरित करें।"
गायत्री मंत्र की ध्वनि मस्तिष्क की तरंगों को शांत करती है और ध्यान की स्थिति को सशक्त बनाती है। इसका जाप तनाव, चिंता और बेचैनी को कम करने में सहायक होता है।
गायत्री मंत्र हमारे हृदय चक्र को शुद्ध करता है और आत्मा को उच्चतर ऊर्जा से जोड़ता है। इससे व्यक्ति को आत्मबोध और परमशांति का अनुभव होता है।
108 बार जाप करने से स्मरण शक्ति और एकाग्रता में अद्भुत वृद्धि होती है। यह विद्यार्थियों और मानसिक श्रम करने वालों के लिए अत्यंत लाभकारी है।
गायत्री मंत्र का नियमित जाप व्यक्ति को नकारात्मक विचारों और कर्मों से छुटकारा दिलाता है और उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का घेरा बना देता है।
कहा जाता है कि इस मंत्र की ध्वनि तरंगे शरीर के भीतर ऊर्जा के केंद्रों (चक्रों) को सक्रिय करती हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
एक शांत स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें। आंखें बंद करें और गहरी श्वास लें। एक रुद्राक्ष या तुलसी की माला लें जिसमें 108 मनके हों। माला का जाप करते समय तर्जनी अंगुली का उपयोग न करें।
हर बार मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा के साथ करें। सुबह सूर्योदय के समय और रात को सोने से पहले जाप करना सर्वोत्तम माना गया है। जाप करते समय सूर्य के तेज प्रकाश की कल्पना करें जो आपके शरीर और आत्मा को ऊर्जा दे रहा है।
मौन रहकर मन में मंत्र का जाप करना मंत्र की ऊर्जा को भीतर तक ले जाता है। यह अभ्यास न केवल मानसिक संतुलन बनाए रखता है, बल्कि आपको आत्मिक रूप से भी जोड़ता है।
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