इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली सरकार ने 25 जून 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई थी और आज आपातकाल की 50वीं बरसी है।
इमरजेंसी लगते ही विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई। हालात ऐसे थे कि देशभर में हर ओर अफरा तफरी मची हुई थी। लेकिन इस इमरजेंसी का मास्टरमाइंड कौन था।
सिद्धार्थ शंकर रे को इमरजेंसी का मास्टरमाइंड कहा जाता है जो इंदिरा गांधी के बेहद विश्वासपात्र और बचपन के साथी थे। इंदिरा ने उन्हें तत्कालीन कलकत्ता से दिल्ली बुलाया था। जिसके बाद 24 जून को बातचीत के दौरान सिद्धार्थ शंकर रे ने इंदिरा गांधी को देश में आपातकाल लगाने की सलाह दी।
कहते हैं कि, प्रधानमंत्री के सचिवालय ने इमरजेंसी लगाने के लिए एक नोट पहले ही तैयार कर लिया था। हालांकि, कुछ लेखक इसे इंदिरा गांधी के ही दिमाग की उपज बताते हैं।
सिद्धार्थ रे ने इंदिरा गांधी के सचिव पीएन धर को आपातकाल की घोषणा के बारे में बताया जिसके बाद उन्होंने अपने टाइपिस्ट को बुला कर आपातकाल की घोषणा के प्रस्ताव को लिखवाया।
वहीं, इमरजेंसी लागू होने के तीन घंटे बाद इंदिरा जब सोने गईं तो देशभर में गिरफ्तारियां शुरू हो गईं और सबसे पहले जयप्रकाश नारायण और मोरारजी देसाई को अरेस्ट किया गया था।
इमरजेंसी कब लगेगी इसकी जानकारी इंदिरा गांधी और सिद्धार्थ शंकर रे के अलावा आरके धवन, बंसीलाल, ओम मेहता और किशन चंद को ही थी। इसके अलावा उनके बेटे संजय गांधी और उनके निजी सचिव पीएन धर को भी इसकी जानकारी थी।
लेखक रशीद किदवई अपनी किताब में लिखते हैं कि, इंदिरा गांधी उस दौरान अपने मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और पार्टी प्रमुखों से सीधे संपर्क नहीं रखती थीं। जो भी बात होती थी वो आरके धवन के जरिए पहुंचाई जाती थी।