प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के संभल में कल्कि धाम मंदिर का शिलान्यास कर दिया है। मान्यताओं के अनुसार इसी जगह पर कलियुग का अंत करने के लिए कल्कि अवतरित होंगे। आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ रहस्यमयी बातें।
श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक, जब गुरु, सूर्य और चंद्रमा एक साथ पुष्प नक्षत्र में प्रवेश करेंगे तब भगवान कल्कि का जन्म होगा। ये श्रीमद्भागवत पुराण के 12वें स्कंद के 24वें श्लोक में बताया गया है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग के अंतिम चरण में भगवान विष्णु कल्कि के अवतार में जन्म लेंगे। यह अवतार कलियुग और सतयुग के संधिकाल में होगा।
महाभारत के रचयिता महर्षि वेदव्यास ने हजारों वर्ष पूर्व ही भविष्यवाणी की थी कि, जैसे-जैसे कलियुग का समय बीतेगा, पृथ्वी पर अत्याचार और पाप बढ़ता जाएगा। जब ये अपने चरम पर होगा तब भगवान कल्कि अधर्म का नाश करने के लिए और धर्म की पुनर्स्थापना के लिए अवतरित होंगे।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का वाहक सफेद घोड़ा होगा जिसका नाम 'देवदत्त' होगा।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का जन्म विष्णुयशा नाम के एक तपस्वी ब्राह्मण के घर होगा।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान कल्कि के अवतरण के बाद सतयुग का आरंभ हो जाएगा। वहीं, स्कंद पुराण की मानें तो कल्कि का अवतार उत्तर प्रदेश के संभल गांव में होगा।
श्रीमद्भागवत पुराण में बताया गया है कि, भगवान विष्णु अब तक पृथ्वी पर 23 बार अवतरित हो चुके हैं। भगवान विष्णु का कल्कि स्वरूप 64 कलाओं से परिपूर्ण होगा।