तंगी के वो दिन, जब स्मृति ईरानी को लगाना पड़ा था झाड़ू-पोछा

चर्चा में हैं स्मृति ईरानी

लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती नजर आ रही है। इस बीच केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी भी खूब चर्चाओं में हैं। दरअसल, एक रैली के दौरान लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बिना परिवार वाला' बताया था।

आर्थिक तंगी का वो दौर

इस पर पलटवार करते हुए स्मृति ईरानी ने लालू प्रसाद यादव को 'चारा चोर' कहा है। खैर आज इतने बड़े पद पर बैठी स्मृति ईरान आर्थिक तंगी की मार का भी दौर देख चुकी हैं।

लगाना पड़ा था झाड़ू-पोछा

ऐसे में पैसे के लिए स्मृति ईरानी को झाड़ू-पोछे तक का काम करना पड़ा था। आइए जानते हैं इस किस्से के बारे में:

नौकरी के लिए धक्के

स्मृति ईरानी जब 18-19 वर्ष की थीं तब उन्हें नौकरी की जरूरत थी जिसके लिए उन्हें खूब धक्के खाने पड़े थे।

शक्ल ठीक नहीं

एक बार वो जेट एयरवेज में इंटरव्यू देने गई थीं जहां उन्हें ये कह कर रिजेक्ट कर दिया गया था कि 'न तो शक्ल ठीक है और न ही पर्सनैलिटी मैच होती है'।

खत्म हो चुकी थी वैकेंसी

इसके बाद उन्होंने मैकडॉनल्ड में इंटरव्यू दिया। लेकिन जिस नौकरी के लिए वो गई थीं वो वैकेंसी फुल हो गई थी।

सिर्फ बचा था झाड़ू-पोछा का काम

ऐसे में वहां पर सिर्फ एक ही काम बचा था और वो था ट्रे साफ करने और झाड़ू-पोछा लगाने का।

पढ़ाई का कोई महत्व नहीं

अपने इस इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी एजुकेशन बताई और कहा कि मैं अच्छा काम कर सकती हूं। लेकिन वहां के स्टाफ बोले कि अब हमारे पास सिर्फ झाड़ू-पोछे वाली ही नौकरी बची है।

सिर्फ इतनी थी सैलरी

स्मृति ईरानी के पास उस वक्त पैसे नहीं थे ऐसे में उन्होंने ये कहते हुए ये नौकरी एक्सेप्ट कर ली कि 'मैं इतना विश्वास जरूर रखती हूं कि आपकी ट्रे धोते-धोते एक दिन मैं मैनेजर जरूर बन जाऊंगी'। उस दौरान उन्हें इस नौकरी के लिए सिर्फ 1800 रुपये मिले थे।