मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम भक्त हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन राम जी की सेवा में पूरी तरह से समर्पित किया था। हनुमान जी की माता का नाम अंजनी और पिता का नाम केसरी था।
वहीं उनके आध्यात्मिक पिता पवनदेव थे जिस कारण उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं हनुमान जी के नाना-नानी कौन थे?
बता दें, पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान की माता अंजनी महर्षि गौतम ऋषी और अहिल्या की पुत्री थी।
महर्षि गौतम सप्तर्षियों में से एक हैं। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर महादेव नासिक उनकी कठोर तपस्या का फल है।
दरअसल, कुछ ऋषियों ने महर्षि गौतम पर गोहत्या का झूठा आरोप लगाया था। इस पाप से मुक्ति पाने के लिए ऋषियों ने उन्हें शिव की आराधना कर मां गंगा को नासिक लाने को कहा था।
पुराणों को अनुसार, भगवान शिव की कठोर तपस्या के फलस्वरूप दक्षिण की गंगा यानी गोदावरी नदी की उत्पत्ति हुई थी।
वहीं, बात करें माता अंजनी की मां यानी महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या ब्रह्मा की मानस पुत्री और सृष्टि की पवित्र पंचकन्याओं में से एक थीं।
स्वर्ग के राजा इंद्र भी अहिल्या की सुंदरता पर मोहित हो गए थे। एक बार जब महर्षि गौतम अपने आश्रम से बाहर गए हुए थे तो इंद्र उनका भेष बनाकर अहिल्या के पास आए थे।
इंद्र ने छल-कपट करते हुए अहिल्या के साथ समय बिताया था। जब महर्षि गौतम वापस लौटे और इंद्र को उनके वेश में देखा तो क्रोधित हो गए और अपनी पत्नी को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया।
जब अहिल्या ने रोते हुए इंद्र के छल-कपट की जानकारी न होने की बात कही तब महर्षि गौतम को अपनी गलती का एहसास हुआ।
इसके बाद ऋषि ने कहा कि जब भगवान विष्णु राम अवतार में इस आश्रम में आएंगे और उनकी पत्थर की शिला को अपने पावन चरणों से स्पर्श करेंगे, तो वह श्राप से मुक्त हो जाएंगी।
यानि कि रामायण में भगवान राम ने जिस शिला पर पैर रखकर अहिल्या को श्राप से मुक्त कराया था, वह कोई और नहीं बल्कि हनुमान जी की नानी थीं।