कोई भी त्यौहार हो या कोई खास समारोह, लोग एक-दूसरे को मिठाई जरूर खिलाते हैं। वहीं जब आप बाजार जाते होंगे तो आपने सिल्वर फॉइल यानी चांदी के वर्क वाली मिठाइयां भी खूब देखी होंगी।
काजू कतली से लेकर कई अन्य मिठाइयों पर यह चांदी का वर्क उन्हें सुंदर बना देता है। चांदी का वर्क हुई मिठाइयां लोग बड़े ही शौक से खाते हैं। वैसे चांदी वर्क लगते ही मिठाई की कीमत भी बहुत बढ़ जाती है।
हालांकि, सिल्वर फॉइल न केवल मिठाइयों को रिच लुक देता है, बल्कि यह कई अन्य कारणों से भी अच्छा माना जाता है। दरअसल, सिल्वर फॉइल में एंटी-बैक्टीरियल प्रॉपर्टीज भी होती हैं।
इसमें मौजूद ये एंटी-बैक्टीरियल गुण भोजन की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने में मदद करते हैं। यानी यह मिठाइयों को लंबे समय तक खराब होने से बचाता है।
चांदी के इसी गुण की वजह से मिठाइयों पर चांदी वर्क लगाने का चलन शुरू हुआ था। इसमें एंटीमाइक्रोबॉयल गुण होने के कारण मिठाइयों पर बैक्टीरिया पनपने की संभावना कम हो जाती है, जिससे उस खाद्य पदार्थ को विषाक्त होने से बचाया जा सकता है।
बता दें, चांदी का वर्क सिल्वर के नॉन-बायोएक्टिव पीसेस को पीटकर बनाया जाता है। इसके बाद इसे बुकलेट के पन्नों के बीच रखा जाता है, ताकि वह टूटे नहीं।
असली और सही एडिबल चांदी का वर्क इतना पतला और नाजुक होता है कि वह त्वचा के सीधे संपर्क में आने पर आसानी से टुकड़ों में टूट जाता है।
हालांकि, बाजार में अब नकली सिल्वर फॉइल भी आने लगी है। इसमें निकल, सीसा और कैडमियम जैसी अन्य भारी धातुओं की मिलावट इसमें की जाने लगी है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
इसकी पहचान करने के लिए सिल्वर फॉइल को अपनी उंगलियों पर रखकर देखें। अगर यह उंगलियों पर चिपक जाए तो यह असली है। इसके अलावा अगर आप असली सिल्वर फॉइल का एक छोटा सा टुकड़ा आग में जलाते हैं तो यह एक छोटी बॉल में बदल जाएगा। अगर यह जलकर भूरा या काला एलिमेंट छोड़ता है तो इसमें मिलावट की गई है।