भारत के अलावा विश्व के कई देशों में रोटी खाई जाती है। हालांकि उन देशों में रोटी का नाम अलग अलग होता है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि दुनियाभर में खाई जाने वाली रोटी का आकार आमतौर पर गोल ही क्यों होता है?
गोल, मुलायम और अच्छे से सिकी हुई रोटी बनाना हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि रोटियां गोल आकार में ही क्यों बनाई जाती हैं?
गोल रोटी के पीछे का सरल गणित यह है कि आटे की लोई गोल होती है। आटे की लोई को गोल करने में किसी भी अन्य आकार की तुलना में कम मेहनत और समय लगता है।
वहीं, जब इसे बेलन से बेलते हैं तो इसे गोल आकार देना आसान हो जाता है। इसके अलावा यह गोल शेप इसे सेकने में भी मददगार साबित होती है, क्योंकि तवा भी गोल होता है और चपाती हर तरफ से सिक जाती है।
कुछ धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं में रोटी के गोल आकार को जीवन और मृत्यु के चक्र से भी जोड़ा जाता है।
रोटी गेहूं का आटा गूंथ कर बनाई जाती है। हालांकि, भारत के विभिन्न राज्यों में रोटी ज्वार, बाजरा, राजगिरा, रागी, मक्का, बेसन और कई अन्य प्रकार के आटे से बनाई जाती है।
रोटी का इतिहास बहुत पुराना है। कहा जाता है कि रोटी बनाने की शुरुआत सिंधु घाटी की सभ्यता में 500 साल पहले हुई थी। हालांकि इसे 8000 ईसा पूर्व में मिस्र से जोड़ा जाता है। उस वक्त गेहूं का पेस्ट बनाकर उसे गर्म पत्थरों पर पकाकर रोटी बनाई जाती थी।
वहीं, कुछ रिसर्चर्स के मुताबिक, उन्हें कुछ साल पहले उत्तर-पूर्वी जॉर्डन में एक ऐसी जगह मिली थी, जिसके बारे में कहा जाता है कि वहां करीब 14 हजार साल पहले रोटी पकाई जाती थी।