डोसा का नाम कैसे पड़ा? इसकी खोज किसने की थी

दक्षिण भारत के पॉपुलर व्यंजनों में से एक डोसा भी है जिसे काफी लोगों ने खाया होगा। लेकिन क्या आपको पता है कि इसका नाम कैसे पड़ा और किसने पहली बार इसे बनाया था।

कहा जाता है कि, डोसे की उत्पत्ति पांचवी शताब्दी के आसपास कर्नाटक के उडुपी शहर में हुई थी। हालांकि, इसे लेकर कई और कहानियां हैं।

एक कहानी यह है कि, प्राचीन काल में एक छोटे पुजारी थे जिन्हें मदिरा पीने का शौक था। उन्होंने चावल के पेस्ट से मदिरा बनाने का प्रयास किया लेकिन उनका बाद में मन बदल गया।

उन्होंने जो चावल का पेस्ट बनाया था उससे पैन केक बना दिया जिसे उन्होंने 'दोषा' कहा। उनके मन में 'दोष' था कि वो पुजारी होने के बाद भी ऐसा करने जा रहे थे। फिर बाद में इसे लोग डोसा कहने लगे।

उडुपी कुक्स का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। दरअसल, उडुपी नरेश ने ही 18 दिनों तक पूरे महाभारत में करीब 50 लाख सैनिकों के लिए भोजन का प्रबंध किया था।

उन्हें पहले से पता होता था कि आज कितने लोग मरेंगे और फिर वो सिर्फ उतने ही लोगों के लिए खाना पकाते थे।

जब लोगों ने उनसे ये सवाल किया तो उन्होंने बताया कि, वो रोज भगवान श्रीकृष्ण को मूंगफली देते हैं और वो जितने छिलके फेंकते थे उससे उन्हें पता चल जाता था कि कितने लोग कम हो जाएंगे।

वहीं, एक और कहानी प्रचलित है कि डोसा की उत्पत्ति 1126 ईस्वी के आसपास उडुपी शहर में हुई थी। कर्नाटक में शासन करने वाले चालुक्य राजा सोमेश्वर तृतीय ने अपने ग्रंथ मानसोल्लास में दोसाका के नाम से डोसा बनाने की एक विधि लिखी थी।