जानिए क्यों आयुर्वेद में दही से ज्यादा छाछ को माना गया है फायदेमंद

दही में मिलाएं धनिया पाउडर

इन सब से अलग आप दही में धनिया पाउडर मिलाकर इसका सेवन कर सकते हैं आप चाहें, तो बेहतर स्वाद के लिए इसमें थोड़ी मात्रा में नमक भी मिला सकते हैं।

दही और छाछ में लगभग एक जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। मगर आयुर्वेद में दही से ज्यादा छाछ को फायदेमंद माना गया है।

आयुर्वेद के अनुसार, जब दही को मथकर छाछ बनाया जाता है, तो इससे छाछ में कुछ अतिरिक्त गुण आ जाते हैं।

छाछ को मथने से उसमें मौजूद प्रोटीन शरीर के लिए पचाने में आसान हो जाता है। वहीं, दही को पचने में ज्यादा समय लगता है।

दही और छाछ प्रोबायोटिक्स हैं, जो आंत में अच्छे बैक्टीरिया को जन्म देने का काम करते हैं। हालांकि, जब पाचन की बात आती है, तो छाछ बेहतर और काम का बन जाता है।

छाछ में विटामिन्स और मिनरल्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। ये चिलचिलाती गर्मी में भी शरीर को ठंडा रखते हैं। इसे पीने से शरीर का तापमान सही रहता है।

आयुर्वेद में दही की तासीर को गर्म बताया गया है। मगर जब दही छाछ बनने की प्रक्रिया से गुजरता है तो इसकी तासीर ठंडी बन जाती है।

यही वजह है कि गर्मियों में शरीर को ठंडक पहुंचाने के लिए छाछ पीने की सलाह दी जाती है।